शहर के सौख्या का रास्ता व आसपास के इलाके में कम गहराई पर डाली जा रही डीआई पाइपलाइन व इससे अवैध रूप से जोड़ी जा रही एक इंच की एचडीपीई पाइपलाइन मामले में जलदाय विभाग के इंजीनियर ही ठेकेदार फर्म मैसर्स तिरूपति कंस्ट्रक्शन कंपनी के बचाव में उतर आए है। विभाग के आला अधिकारियों की ओर से मांगी रिपोर्ट का जवाब देते हुए एक्सईएन संजय शर्मा ने लिखा दिया कि सब कुछ मापदंडों के अनुसार ही हो रहा है।
दूषित पानी से राहत व जर्जर पाइपलाइन बदलने पर नाम पर जलदाय विभाग यहां पर 49 लाख रुपए खर्च कर डक्टाइल आयरन (डीआई) पाइपलाइन डाल रहा है। लेकिन यहां पर रातों-रात पाइपलाइन से अवैध कनेक्शन हो गए। विभाग ने अवैध डाली एचडीपीई पाइपलाइनों को यहां से हटवाया भी है, लेकिन किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। यहां पर काम के दौरान कोई इंजीनियर मौजूद नहीं था तथा मापपुस्तिका (एमबी) भी मौके पर नहीं भरी गई। यहां पर काम करवाने की मॉनिटरिंग एक्सईएन संजय शर्मा, एईएन पवन शर्मा व जेईएन मेजरद्दीन कर रहे है।
एक्सईएन संजय शर्मा ने लिखा
- कम गहराई पर पाइपलाइन : कुछ स्थानों पर गलियां सकड़ी है। बिजली केबिल, टेलीफोन केबिल, सीवरेज चैंबर व लाइन व नाला क्रासिंग के कारण उन स्थानों पर पाइपलाइन साइट फिजिबिलिटी के अनुसार डाली जा रही है। सबका भुगतान वास्तविक मात्रा के अनुसार किया जाएगा।
- अवैध पाइपलाइन : गली में एक व्यक्ति ने अपने दो मकानों के बीच पानी ट्रांसफर करने के लिए एचडीपीई पाइप को विभाग की नाली में ही बिछा दिया। इसे हटा दी है। इस पाइपलाइन का विभाग से कोई संबंध नहीं है।