भारत बंद का मिला-जुला असर, सीकर, गंगानगर व चूरू में हड़ताल के कारण परिवहन सेवा गड़बड़ाई

केंद्रीय श्रमिक संगठनों औद्योगिक फेडरेशंस और कर्मचारी महासंघों सहित 10 दस ट्रेड यूनियन्स के संयुक्त आह्वान पर बुधवार को बुलाए गए भारत बंद व हड़ताल का राजस्थान में मिला-जुला असर देखने को मिला। बंद के कारण कई सरकारी प्रतिष्ठान बंद रहे। बंद से बैंकों में काम-काज ठप रहा तथा सड़क परिवहन पर इसका आंशिक असर देखने को मिला।


केंद्रीय संगठनों ने विभिन्न क्षेत्रीय मुख्यालयों और शहीद स्मारक पर प्रदर्शन कर जिला कलेक्ट्रेट में अपना मांग पत्र सौंपा। जयपुर सहित प्रदेश में भारत बंद के दौरान बैंकिंग संगठनों के आह्वान पर हड़ताल रही। हड़ताल का आह्वान सार्वजनिक परिवहन उपक्रमों के निजीकरण सहित 13 सूत्री मांगों के समर्थन में बुलाया गया। राजस्थान में देशव्यापी आम हड़ताल में विभिन्न विभागों के कर्मचारियों का समर्थन मिला।


सीटू से संबद्ध राजस्थान रोडवेज वर्कर्स यूनियन के महासचिव किशन सिंह राठौड़ ने बताया कि हड़ताल में संगठन से जुड़े करीब 3000 रोडवेज कर्मचारी शामिल हुए। इससे सीकर, चूरू, झूंझुनूं व गंगानगर में बसों के नहीं चलने से परिवहन पर असर पड़ा। हालांकि जयपुर में सार्वजनिक परिवहन पर हड़ताल का ज्यादा असर देखने को नहीं मिला। यहां ज्यादातार बाजार खुले रहे। 


कर्मचारी उत्पीड़न की कार्रवाई पर भारतीय डाक कर्मचारी यूनियन और नेशनल यूनियन ऑफ पोस्टल एम्पलाइज ने संयुक्त ज्ञापन सौँपा। उत्तर-पश्चिम रेलवे मजदूर संघ जयपुर मंडल की ओर से रेलवे के निजीकरण के विरोध में रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया।


इधर, ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन की राजस्थान राज्य इकाई के अध्यक्ष लोकेश मिश्रा ने बताया कि जयपुर में बैंक व बीमा कर्मी जीवन प्रकाश भवन, अंबेडकर सर्किल पर प्रदर्शन किया। बंद में सार्वजनिक बैंकों समेत आरबीआई के संगठन भी शामिल हुए। हड़ताल से 2500 बैंक शाखाओं में बैंकिंग कामकाज पर असर पड़ा।


ऑल इंडिया रिजर्व बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन, बैंक एंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बेफी), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, इंडियन नेशनल बैंक आफिसर्स कनफेडरेशन सहित सात कर्मचारी संगठन 11 प्रमुख मांगों को लेकर हड़ताल में शामिल हुए। जयपुर में एलआईसी भवन के सामने प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार की नीतियों को कोसने के साथ अपने स्थानीय मुद्दे भी संगठनों के पदाधिकारियों ने उठाए।


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