जेडीए की नगर निगम सीमा में बसाई जा रही नींदड़ आवासीय कॉलोनी की अवाप्ति फिर विवादों में हो गई है। अवाप्ति को लेकर नींदड़ के किसान ही दो गुट में बंट गए है। एक गुट के ज्यादातर किसानों ने पहले ही जमीन जेडीए में सरेंडर कर आरक्षण पत्र ले लिया है तथा अब भूखंड आवंटन की मांग कर रहे है। वहीं दूसरे गुट के किसानों ने नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के आव्हान मंगलवार को फिर से जमीन समाधि सत्याग्रह शुरु कर दिया है।
पहले दिन समिति के संयोजक नगेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश बोहरा सहित पांच किसानों ने जमीन समाधि लेकर जेडीए की कार्रवाई की विरोध किया है तथा अब आरपार की अंतिम लड़ाई की चेतावनी दी है। अब रोजाना जमीन समाधि लेने वालों की संख्या बढ़ेगा। दूसरी ओर जेडीए ने इस आंदोलन को गरीब व आम किसानों को गुमराह करने वाला बताया है।
गौरतलब है कि किसानों का यह गुट दो साल बाद दुबारा जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे है। पहले उन्होंने भाजपा शासन काल में 18 सितंबर से आंदोलन शुरु किया था। इसके बाद गांधी जयंती 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक जमीन समाधि आंदोलन चला था।
जमीन 10 साल पहले अवाप्त हो चुकी जेडीए
जेडीए जोन 12 के डिप्टी कमिश्नर मनीष फौजदार ने बताया कि जमीन अवाप्ति की पूरी प्रक्रिया 10 साल पहले ही पूरी हो चुकी है। योजना के लिए 286.27 हेक्टेयर जमीन अवाप्त की है। जिन किसानों ने जमीन सरेंडर कर दी है, उन्हें आरक्षण पत्र जारी किए जा रहे है और किसानों से भी समझाईश कर सहमति के आधार पर समर्पण करवाया जा रहा है। स्कीम लांच होने में देरी के कारण जमीन सरेंडर कर चुके किसानों को आर्थिक दिक्कत हो रही है। स्कीम होने से किसानों व परिवारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। पढ़ाई, रोजगार, विवाह सहित अन्य समस्याओं का समाधान होगा। किसानों की मांग पर ही एक जनवरी से सड़क व दूसरे काम शुरू किए है। स्कीम में बने मकानों व पेड़ों का सर्वे करवा कर मुआवजा दिया जा रहा है।
यह है किसानों की मांग
समिति की मांग है कि अवाप्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी। ऐसे में नए अवाप्ति अधिनियम में किसानों की सहमति से जमीन अवाप्त हो तथा उसके अनुसार ही मुआवजा मिले।
दस साल से विवादों में उलझी है आवासीय स्कीम
जेडीए ने अक्टूबर 2010 में भूमि अवाप्ति अधिनियम-1894 की धारा 4 के तहत खातेदारों को नोटिस जारी किया। जेडीए ने नंवबर 2011 में अधिनियम की धारा- 6 के नोटिस दे दिए। इसी दौरान देशभर में भूमि अवाप्ति अधिनियम में बदलाव की मुहिम चल पड़ी। जेडीए ने नए नियम के पहले ही 31 मई 2013 को अवार्ड जारी कर दिया। नया भूमि अवाप्ति अधिनियम जनवरी 2014 से लागू हआ। जेडीए ने 2017 में यहां कॉलोनी की प्लानिंग की और सेक्टर रोड से कब्जा हटाया तो किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया। जेडीए यह आवासीय स्कीम करीब 1350 बीघा में बसाई जा रही है। यहां पर करीब 280 बीघा जमीन जेडीए खातेदारी की सरकारी है। 120 जमीन मंदिर माफी की है। 400 बीघा जमीन खातेदार जेडीए के पक्ष में समर्पित (सरेंडर) कर चुके हैं।